कालसर्प दोष: ज्योतिष में महत्वपूर्ण भूमिका

कालसर्प दोष: ज्योतिष में महत्वपूर्ण भूमिका

कालसर्प दोष, जो कालसर्प योग या सर्पदोष के रूप में भी जाना जाता है, ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रहण होता है। यह एक विशेष प्रकार का ग्रहण होता है जिसमें सूर्य और चंद्रमा, अन्य ग्रहों के साथ एक सर्प के रूप में आते हैं। कालसर्प दोष को ज्योतिष में ग्रहण की तरह देखा जाता है, और इसका मान्यता में महत्व होता है क्योंकि यह जातक के जीवन में प्रभाव डाल सकता है।

व्यक्त

ि के जन्मकुंडली में कालसर्प दोष का होना उसके कर्म, भाग्य और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल सकता है। इसे शास्त्रों में बुरा माना गया है और इसका निवारण करने के विभिन्न उपायों की सिफारिश की जाती है।

कालसर्प दोष के प्रकार:

  1. आनंदकालसर्प दोष: इस प्रकार के कालसर्प दोष में सूर्य ग्रहण में होते हैं।
  2. कुलिकालसर्प दोष: इस प्रकार के कालसर्प दोष में चंद्रमा ग्रहण में होते हैं।

कालसर्प दोष के प्रभाव:

  1. व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
  2. स्वास्थ्य समस्याएँ और जीवन में स्थिति पर प्रभाव
  3. परिवारिक और सामाजिक संबंधों पर प्रभाव

कालसर्प दोष के निवारण के उपाय:

  1. व्रत और पूजा: कुछ विशेष व्रत और पूजा के द्वारा कालसर्प दोष को निवारण किया जा सकता है।
  2. रत्न धारण: ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि कुछ रत्नों की धारण कालसर्प दोष को निवारण कर सकती है।
  3. मंत्र जाप: कालसर्प दोष के उपाय के रूप में कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जा सकता है।

कालसर्प दोष एक मान्यता होती है, और इसका पूरा आधार ज्योतिष शास्त्र पर रहता है। यह बहुत से लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विचार होता है, और वे इसका निवारण करने के उपायों का पालन करते हैं। सभी 12 प्रकार के कलसर्प दोष के निवारण के लिए आज ही सपंर्क करें ।

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