Vastu Shastra

वास्तु शास्त्र हमेशा से यह मानता है कि हर जगह पर दो तरह की ऊर्जाओं का संचार होता है और ये ऊर्जा मनुष्य जीवन पर अपने स्वभाव के अनुरूप ही प्रभाव डालती है। दो तरह की ऊर्जा यानी कि सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा। सकारात्मक ऊर्जा आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आती है और नकारात्मक ऊर्जा की वजह से आपको जीवन में परेशानियां, कष्ट, कलह आदि का सामना करना पड़ता है। 

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वास्तु शास्त्र कहता है कि प्रत्येक दिशा पर किसी न किसी देवता का आधिपत्य है। ऐसे में यह दोनों प्रकार की ऊर्जा तभी पैदा होती है जब किसी विशेष दिशा में किसी विशेष वस्तु को रख दिया गया हो। इस वस्तु से यदि उस दिशा के देवता प्रसन्न होंगे तो सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होगी और यदि अप्रसन्न होंगे तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा।

चूंकि आम इंसान का जीवन आज के दौर में इतनी ज्यादा भाग-दौड़ से भर चुका है कि उसके पास इतना समय ही नहीं है कि वो अपना घर वास्तु शास्त्र के हिसाब से रख सके या फिर पता कर सके कि उसके घर में किस दिशा में वास्तु दोष है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में यह बताने वाले हैं कि कैसे कुछ समस्याओं को समझ कर आप यह आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपके घर में किस दिशा में वास्तु दोष है।

संतान न हो

यदि आपके वैवाहिक जीवन में संतान योग नहीं बन पा रहा है तो इसका अर्थ है कि आपके घर के मध्य भाग में कोई वास्तु दोष है। किसी भी घर के मध्य भाग पर भगवान बृहस्पति और भगवान ब्रह्मा का आधिपत्य होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति ही किसी भी जातक के जीवन में संतान के कारक होते हैं। ऐसे में घर के मध्य भाग का वास्तु ठीक करें, आपको इस समस्या से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा।

यदि बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं

यदि किसी जातक को जीवन में सफलता मिलते-मिलते रह जाती हो या फिर बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं तो उस जातक के घर के मध्य भाग में किसी प्रकार का वास्तु दोष हो सकता है। घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान भी कहते हैं। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि घर के मध्य भाग में किसी प्रकार का कोई अत्यधिक वजनी वस्तु, शौचालय आदि न मौजूद हो क्योंकि ये सभी नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करते हैं।

यदि धन संचय करने में हो परेशानी

यदि किसी जातक को अत्यधिक मेहनत के बावजूद भी आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है या फिर काफी कोशिशों के बावजूद भी आप धन संचय करने में असमर्थ रहते हैं तो इसका मतलब है कि आपके घर के नैऋत्य कोण में किसी प्रकार का वास्तु दोष है। घर का नैऋत्य कोण दक्षिण-पश्चिम दिशा को कहा जाता है। ऐसी स्थिति में यह भी हो सकता है कि आपके घर का मुख्य द्वार या कोई खिड़की नैऋत्य कोण में हो। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने घर के मुख्य द्वार या खिड़की की दिशा बदलें।

यदि स्वास्थ्य संबंधी रहती हो समस्या

यदि आपके परिवार में सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो इसका अर्थ यह है कि आपके घर की दक्षिण पूर्व दिशा में कोई वास्तु दोष है। दक्षिण पूर्व दिशा में रखी गई वस्तु उस घर के सदस्यों के पेट और स्वास्थ्य पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डालती है।

यदि रिश्तेदारों और मित्रों से हो मनमुटाव

यदि आप ऐसा महसूस करने लगे हैं कि आपके परम मित्र भी धीरे-धीरे आपके दुश्मन बनते जा रहे हैं या फिर आपके रिश्तेदार आपसे बैर रखते हैं तो संभव है कि आपके घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में कोई वास्तु दोष हो। उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण भी कहा जाता है। आपका जीवन के सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ।

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