नीलम (Blue Sapphire) रत्न को वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह (Saturn) से संबंधित माना जाता है। शनि कर्म, न्याय, अनुशासन, धैर्य, परिश्रम, धन, आयु और अध्यात्म का कारक है। नीलम को सबसे प्रभावशाली और तेज़ असर करने वाला रत्न माना जाता है। यदि यह सही व्यक्ति और सही परिस्थिति में धारण किया जाए, तो तुरंत परिणाम देता है।
नीलम धारण करने के लाभ
- अचानक धनलाभ – व्यापार, शेयर, प्रॉपर्टी, बिज़नेस और निवेश में अप्रत्याशित लाभ मिलता है।
- करियर और नौकरी में सफलता – नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति, प्रतिष्ठा और स्थिरता मिलती है।
- कानूनी मामलों में जीत – मुकदमों, शत्रुओं और विरोधियों पर विजय दिलाता है।
- स्वास्थ्य लाभ – हड्डियों, नसों, गठिया, तंत्रिका और क्रॉनिक बीमारियों में आराम देता है।
- धैर्य और आत्मविश्वास – व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, निर्णय क्षमता और मानसिक मजबूती लाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – शनि ग्रह तपस्या और साधना से जुड़ा है, इसलिए नीलम धारण करने से साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- सुरक्षा कवच – नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र, शत्रु और दुर्घटनाओं से रक्षा करता है।
विशेष सावधानी
- नीलम बहुत तेज़ असरकारी होता है, इसलिए इसे धारण करने से पहले कुंडली की पूरी जाँच ज़रूरी है।
- यदि शनि अशुभ स्थिति में हो तो नीलम विपरीत प्रभाव भी दे सकता है।
- इसे हमेशा शनिवार को, मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक पूजा के बाद ही धारण करना चाहिए।
- धारण करने से पहले 1–2 दिन तक इसे तकिए के नीचे या शरीर से लगाकर परीक्षण करना भी उचित माना जाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – शनि ग्रह तपस्या और साधना से जुड़ा है, इसलिए नीलम धारण करने से साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- सुरक्षा कवच – नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र, शत्रु और दुर्घटनाओं से रक्षा करता है।
विशेष सावधानी
- नीलम बहुत तेज़ असरकारी होता है, इसलिए इसे धारण करने से पहले कुंडली की पूरी जाँच ज़रूरी है।
- यदि शनि अशुभ स्थिति में हो तो नीलम विपरीत प्रभाव भी दे सकता है।
- इसे हमेशा शनिवार को, मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक पूजा के बाद ही धारण करना चाहिए।
- धारण करने से पहले 1–2 दिन तक इसे तकिए के नीचे या शरीर से लगाकर परीक्षण करना भी उचित माना जाता है।
