जानिए वर्ष 2022 में पड़ने वाले 12 पूर्णिमा तिथि, नाम और उनका महत्व

आचार्य रत्नाकर तिवारी
ज्योतिषरत्न एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
www.rjyotishi.com
कॉल, 7052589999 (लखनऊ)

हिन्दू पञ्चाङ्ग में दो तिथियों को महत्वपूर्ण माना गया है, एक पूर्णिमा और दूसरी है अमावस्या। इन दोनों तिथियों पर भगवान के आराधना से सकारात्मक एवं लाभदायक परिणाम प्राप्त होते हैं। आपको बता दें कि पूर्णिमा के दिन हमें भगवान की पूजा करनी चाहिए और अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर ध्यान और दान करना चाहिए। आपकी जानकारी में अधिक वृद्धि लाते हुए, हम आपको बता दें कि शुक्ल पक्ष में पन्द्रहवें तिथि को पूर्णिमा होती है और कृष्ण पक्ष में तीसवीं तिथि को अमावस्या। इसमें फाल्गुन पूर्णिमा ,बौद्ध पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा सम्मिलित हैं और इस सभी पूर्णिमा तिथियों का अपना-अपना महत्व है। हर वर्ष की तरह वर्ष 2022 में भी 12 पूर्णिमा के तिथि पड़ रही हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि 2022 में पूर्णिमा की तिथि और महत्व क्या है।

जनवरी 2022

2022 जनवरी में पौष पूर्णिमा

तिथि 17 जनवरी 2022 दिन सोमवार

आरंभ- सुबह 03.18 से समापन-सुबह 05.17 18 जनवरी तक

फरवरी 2022

2022 जनवरी में माघ पूर्णिमा

16 फरवरी दिन बुधवार
आरंभ- सुबह 9.42, 15 फरवरी से समापन- रात 22.55, 16 फरवरी तक

मार्च 2022

2022 मार्च में हुताशनी पूर्णिमा

तिथि 8 मार्च दिन शुक्रवार

आरंभ- दोपहर 1.39, 17 मार्च से समापन- दोपहर12.46, 18 मार्च तक

अप्रैल 2022

2022 अप्रैल में चैत्र माह पूर्णिमा

तिथि: 16 अप्रैल 2022 दिन शनिवार

आरंभ: रात्रि 02.25, 15 अप्रैल से समापन- रात 12.47, 17 अप्रैल तक

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मई 2022

2022 मई में वैशाख एवं बुद्ध पूर्णिमा

तिथि: 16 मई 2022 दिन सोमवार

आरंभ: दोपहर 12.45, 15 मई से समापन: सुबह 09.43, 16 मई तक

जून 2022

2022 जून में ज्येष्ठ पूर्णिमा

तिथि: 14 जून 2022 दिन मंगलवार

आरंभ: सुबह 3.33, 14 जून से समापन- रात 12.09, 14 जून 2022 तक

जुलाई 2022

2022 जुलाई में गुरु पूर्णिमा

तिथि: 13 जुलाई दिन बुधवार

आरंभ: रात्रि 09:02, 12 जुलाई से समापन: सुबह 7:21, 13 जुलाई तक

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अगस्त 2022

2022 अगस्त में श्रावण मास पूर्णिमा

तिथि: 12 अगस्त दिन गुरुवार

पूर्णिमा तिथि आरंभ: सुबह 10:38, 11 अगस्त से समापन- सुबह 07:05, 12 अगस्त तक

सितम्बर 2022

2022 सितंबर में भादो माह पूर्णिमा

तिथि: 10 सितंबर दिन शनिवार

आरंभ: शाम 06:07, 9 सितम्बर से समापन-दोपहर 03:28, 10 सितम्बर तक

अक्टूबर 2022

2022 अक्टूबर में आश्विन माह पूर्णिमा

तिथि: 10 अक्टूबर दिन रविवार

आरंभ: सुबह 03:41, 9 अक्टूबर से समापन: सुबह 02:24, 10 अक्टूबर तक

नवम्बर 2022

2022 नवंबर में कार्तिक माह पूर्णिमा

तिथि: 8 नवंबर दिन मंगलवार

आरंभ- शाम 04:15, 7 नवंबर से समापन- शाम 04:31, 8 नवंबर तक

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दिसंबर 2022

2022 दिसंबर में मार्गशीर्ष माह पूर्णिमा

तिथि: 8 दिसंबर दिन गुरुवार

आरंभ: सुबह 08:01, 7 दिसंबर से समापन: सुबह 09:37, 8 दिसंबर तक

पूर्णिमा तिथि का महत्व

ज्योतिष शास्त्र एवं वैदिक ग्रंथों में इस तिथि का विस्तार से महत्व बताया गया है। आपकी जानकारी में अधिक वृद्धि लाते हुए हम बताना चाहते हैं कि इन्ही तिथियों पर देवताओं का एवं धर्मगुरुओं का अवतरण हुआ था। यह तिथि उस दिन घटित होती है जिस दिन आसमान में चन्द्रमा पूर्ण रूप में दिखाई देता है अथवा सोलह कलाओं से युक्त होता है।
इस दिन पवित्र स्नान, व्रत एवं दान करना जातक के सभी कामनाओं को पूर्ण करता है। साथ ही विवाहित महिलाऐं इस दिन बरगद यानि वट वृक्ष की उपासना करती हैं, तब उनके परिवार के सौभाग्य में अधिक वृद्धि होती है और खुशियां घर आती हैं। इस दिन खास कर जगत के पालनहार भगवान शिव एवं माता पार्वती की आराधना की जानी चाहिए। उनके आराधना से जातक को जीवन में सभी प्रकार के कष्टों से निवारण प्राप्त होता है। साथ ही पूर्णिमा के दिन जातक के कुंडली में चंद्र दोष खत्म होता है।
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पूर्णिमा के दिन क्या होता है

पूर्णिमा के दिन चाँद धरती के संबंध में आता है, जिससे समुद्र में ज्वार-भाटा उतपन्न होता है। और क्योंकि मानव शरीर में भी 85% जल है, इसलिए पूर्णिमा के दिन व्यक्ति भी अपने शरीर में कुछ बदलावों को महसूस करता है। जैसे इस दिन शरीर के भीतर रक्त में न्यूरॉन कोशिकाएं अधिक क्रियाशील स्थिति में होती हैं, जिससे व्यक्ति अधिक भावुक या उत्तेजित महसूस करता है।
साथ ही इस दिन रात में मन अधिक बेचैन रहने लगता और व्यक्ति को नींद कम आती है। इसके अलावा जिनकी मानसिक स्थिति कमजोर होती है, उनके मन में हत्या या आत्महत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं। इसके साथ पूर्णिमा के दिन व्रत की सलाह इसलिए दी जाती है, क्योंकि जिन-जिन लोगों के पेट में चय-उपचय की क्रिया अस्थिर होती है, उन लोगों के शरीर पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक नकारात्मक पड़ता है। आपको बता दें कि यह सभी तर्क वैज्ञानिक दृष्टि से सिद्ध किए जा चुके हैं।

पूर्णिमा के दिन क्या न करें

इस दिन तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें।

शराब जैसे नशीले पदार्थों से स्वयं को दूर रखें, इससे आपके स्वास्थ्य एवं भविष्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इस दिन पवित्रता का पालन करें और कुछ ऐसा न करें जो आपके भविष्य पर दुष्परिणाम डाले।

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